नवोदय की तीसरी प्रतीक्षा सूची (3rd Waiting List) में चयन के लिए संभावित कट-ऑफ
1. भूमिका
हर साल जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा (JNVST) में लाखों बच्चे भाग लेते हैं। पहला चयन-सूची (Merit List) आने के बाद भी विद्यालय-स्तर पर अनेक सीटें खाली रह जाती हैं। इन्हीं खाली सीटों को भरने के लिए दूसरी तथा, ज़रूरत पड़ने पर, तीसरी प्रतीक्षा सूची जारी की जाती है। इस लेख में हम तीसरी प्रतीक्षा सूची के संभावित कट-ऑफ (Cut-off) का अनुमान लगाएँगे, साथ-साथ यह भी समझेंगे कि ये अंक तय कैसे होते हैं, राज्यवार क्या फर्क पड़ता है और अभ्यर्थियों को आगे किन बातों पर ध्यान देना चाहिए।

2. प्रतीक्षा सूची क्या है और क्यों ज़रूरी है
पहली सूची जारी होने के बाद कई विद्यार्थी दस्तावेज़ सत्यापन या जॉइनिंग प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाते। कुछ अन्य बोर्डिंग स्कूलों में चयन हो जाने से भी सीटें खाली रह जाती हैं। नतीजा—विद्यालयों के पास रिक्तियों की संख्या बढ़ जाती है और NVS दूसरी तथा तीसरी प्रतीक्षा सूची प्रकाशित करता है, ताकि हर जिले-ब्लॉक की निर्धारित सीटें भर सकें। तीसरी सूची अपेक्षाकृत दुर्लभ होती है, पर पिछले दो-तीन सालों के रुझान बताते हैं कि बड़ी प्रतियोगी संख्या और कोविड-बाद स्थानांतरण प्रवृत्तियों ने तीसरी सूची को भी प्रासंगिक बना दिया है।
3. पिछली कट-ऑफ का अवलोकन
- 2025 (प्रथम सूची): सामान्य वर्ग का औसत कट-ऑफ 80–85 अंक तक गया, OBC का 75–79, SC का 71–74 और ST का 65–70 अंक के बीच रहा।
- 2025 (दूसरी सूची): उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार सामान्य का स्तर 75–80, OBC का 70–75, SC का 66–70 और ST का 60–66 अंक तक गिरा। (
- 2024 (सामान्य ट्रेंड): पिछले वर्ष सामान्य 73-75, OBC 69-71, SC 63-65, ST 58-60 अंक के आसपास रहा।
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि प्रत्येक सूची के साथ कट-ऑफ धीरे-धीरे कम होता है, किंतु गिरावट की गति हर राज्य में एक-सी नहीं होती।
4. तीसरी प्रतीक्षा सूची की आवश्यकता
तीसरी सूची तब जारी होती है जब—
- दूसरी सूची के बाद भी सीट खाली हों।
- जिला-स्तर पर सीटों की inter-changeability (यानी आरक्षित कोटे के भीतर सीटों का अदलाबदली) संभव न हो।
- विद्यालय समय पर सत्र शुरू करना चाहता हो, अतः अंतिम प्रयास में तीसरी सूची निकाले।
2025-26 के शैक्षिक सत्र में अनेक जिलों में उच्च पलायन और निजी विद्यालय विकल्प के कारण सीटें अपेक्षा से अधिक खाली हैं, इसलिए तीसरी सूची की संभावना पहले से बेहतर दिख रही है।
5. कट-ऑफ को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- आवेदकों की संख्या—किसी जिले में यदि आवेदक बहुत कम हैं, तो कट-ऑफ स्वाभाविक रूप से नीचे जाएगा।
- प्रश्न-पत्र का कठिनाई स्तर—इस वर्ष का पेपर गणित अनुभाग में तुलनात्मक रूप से आसान था, जबकि मानसिक अभिरुचि खंड ने बच्चों की समय-प्रबंधन क्षमता को परखा। कठिनाई कम होने से औसत अंक बढ़े और पहली सूची का कट-ऑफ ऊँचा गया।
- क्षेत्रीय आरक्षण—ग्रामीण 75 % और शहरी 25 % सीटों के अनुपात का संतुलन रखते हुए अंक तैयार किए जाते हैं।
- श्रेणी-वार आरक्षण—SC/ST को क्रमशः 15 % और 7.5 % आरक्षण है। जब विशिष्ट श्रेणी की सीटें खाली रह जाती हैं, तो उन्हें सामान्य या OBC को हस्तांतरित करने की जगह अगली सूची से उसी श्रेणी के छात्रों को मौका दिया जाता है; इससे उस श्रेणी का कट-ऑफ अपेक्षाकृत कम रहता है।
- राज्य-विशिष्ट फैक्टर—कुछ राज्यों में आवेदक संख्या अधिक पर सीटें सीमित हैं (उदा. बिहार, उत्तर प्रदेश), इसलिए कट-ऑफ तुलनात्मक रूप से ऊँचा बना रहता है। वहीँ पूर्वोत्तर राज्यों में औसत थोड़ा कम रहता है क्योंकि छात्र संख्या घनत्व कम है।
6. तीसरी प्रतीक्षा सूची का संभावित राष्ट्रीय कट-ऑफ
पिछले आँकड़ों और 2025 के द्वितीय सूची ग्राफ से आँकलित राष्ट्रीय स्तर के औसत अनुमान निम्न हो सकते हैं:
श्रेणी | संभावित कट-ऑफ (± 2 अंक) | व्याख्या |
---|---|---|
सामान्य (UR) | 70–75 | द्वितीय सूची से ~5 अंक नीचे, क्योंकि तीसरी सूची में सीटें सीमित पर प्रतिस्पर्धी भी कम |
OBC | 66–70 | OBC आरक्षण के कारण सीमा थोड़ी और घट सकती है |
SC | 60–65 | पिछले वर्षों में SC तीसरी सूची 60 के आसपास रुकी |
ST | 55–60 | सामान्यतः सबसे कम, पर सीट संख्या भी कम |
महत्त्वपूर्ण: यह औसत अनुमान है; अलग-अलग जिलों में 3-5 अंक का अंतर आ सकता है।
7. राज्यवार सूक्ष्म अंतर
- उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान: आवेदक सर्वाधिक; सामान्य कट-ऑफ 73-75 तक भी जा सकता है।
- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़: 70-72 के आसपास रहने की संभावना।
- पूर्वोत्तर (असम, मेघालय, मणिपुर): सामान्य 68-70, आरक्षित श्रेणी 55-60 तक गिर सकता है।
- दक्षिणी राज्य (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक): पिछले सालों में प्रश्न-पत्र का प्रदर्शन अच्छा रहा; यहाँ सामान्य के लिए 72-74 अंक का अनुमान।
8. ग्रामीण-शहरी तथा श्रेणीगत समीकरण
ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों में कॉम्पिटिशन कुछ जिलों में कम तो कुछ में अत्यधिक है। शहरी विद्यालयों में सीटें ही कम होती हैं, इसलिए भले ही आवेदक संख्या नगण्य हो, कट-ऑफ बहुत नीचे नहीं गिरता। तीसरी सूची में भी, यदि कोई ग्रामीण सीट खाली रहती है, तो उसे शहरी आवेदक से नहीं भरा जाता; पहले ग्रामीण से भरे जाने की कोशिश होती है। यह नियम ग्रामीण अभ्यर्थियों के लिए अवसर बढ़ाता है।
9. तैयारी और अगला कदम
- दस्तावेज़ तैयार रखें—नाम, जन्मतिथि, जाति एवं निवास प्रमाणपत्र पहले से सही करवाएँ।
- स्कूल-स्तरीय सम्पर्क बनाए रखें—अनेक बार तीसरी सूची की सूचना विद्यालय नोटिस-बोर्ड व स्थानीय DEO कार्यालय में चिपकाई जाती है; वेबसाइट पर देर से आती है।
- अन्य विकल्प भी खुला रखें—सैनिक स्कूल या राज्य आवासीय विद्यालयों के प्रयोग भी साथ-साथ देखें, ताकि समय न चूके।
- मानसिक तैयारी—तीसरी सूची के बावजूद सीट न मिले तो निराश न हों; अनुवर्ती वर्ष के लिए दोबारा प्रयास करने या वैकल्पिक उत्कृष्ट विद्यालय चुनने के मार्ग खुले रहते हैं।
10. निष्कर्ष
तीसरी प्रतीक्षा सूची उस अंतिम अवसर की तरह है जहाँ मेहनत के साथ धैर्य की भी परीक्षा होती है। संभावित कट-ऑफ सामान्य वर्ग के लिए 70-75 अंक तक आने की संभावना है, पर राज्य-जिला और श्रेणी के अनुसार 3-5 अंक का उतार-चढ़ाव संभव है। सही जानकारी, समय पर दस्तावेज़ वेरिफिकेशन और विद्यालय-स्तर की सतर्कता से आपका चयन सुनिश्चित हो सकता है। भविष्य के सभी अपडेट, प्रश्न-पत्र विश्लेषण और मुफ़्त मॉक-टेस्ट के लिए navodayatrick.com नियमित रूप से देखते रहें। टीम वहाँ रोज़ नया अभ्यास-सामग्री और कट-ऑफ ट्रेंड प्रकाशित करती रहती है, ताकि आप हर सूची में अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें।
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