नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है?

नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है?

नवोदय विद्यालय देश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए भी जाना जाता है। यहाँ न केवल पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि खेलों को भी विशेष महत्व दिया जाता है। खो-खो, भारत का पारंपरिक खेल, नवोदय विद्यालयों में छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह खेल न केवल तेज गति से दौड़ने की क्षमता बढ़ाता है, बल्कि मानसिक सतर्कता, फुर्ती और रणनीति को भी विकसित करता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नवोदय विद्यालयों में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है, इसकी प्रक्रिया क्या होती है, किन स्तरों पर प्रतियोगिताएँ होती हैं, और छात्रों को क्या-क्या लाभ मिलते हैं। साथ ही यह भी समझेंगे कि इस पारंपरिक खेल को नवोदय जैसे आधुनिक आवासीय विद्यालयों में किस तरह बढ़ावा दिया जाता है।

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नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है?
नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है?

खो-खो की विशेषता और नवोदय में इसका महत्व

खो-खो एक ऐसा खेल है जो मैदान पर तेज़ी, चपलता, रणनीति और टीम वर्क की परीक्षा लेता है। यह खेल विशेष रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय रहा है और अब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है। नवोदय विद्यालय समिति ने इस खेल को अपने वार्षिक खेल कार्यक्रम में विशेष स्थान दिया है, ताकि छात्रों को शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ पारंपरिक खेलों की भी जानकारी और अनुभव मिल सके।

नवोदय में खो-खो का महत्व:

  • यह खेल बिना किसी महंगे उपकरण के खेला जा सकता है
  • बच्चों की गति, संतुलन और फुर्ती को बढ़ाता है
  • समूह में खेलने के गुण सिखाता है
  • परंपरागत भारतीय खेलों से जुड़ाव बनाए रखता है
नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है?
नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है?

नवोदय विद्यालय में खो-खो की ट्रेनिंग कैसे होती है: चरण दर चरण प्रक्रिया

1. खेल समय में नियमित अभ्यास

हर नवोदय विद्यालय में दिनचर्या के अंतर्गत एक निश्चित खेल समय होता है। यह आमतौर पर शाम को पढ़ाई के बाद रखा जाता है। इस समय के दौरान छात्रों को विभिन्न खेलों का अभ्यास कराया जाता है, जिसमें खो-खो भी प्रमुख रूप से शामिल होता है।

खो-खो ट्रेनिंग के शुरुआती चरण में सिखाई जाने वाली बातें:

  • खेल के नियम और तकनीक
  • कैसे दौड़ें, मुड़ें और समय पर विपक्षी को टैग करें
  • “कोह” और “छो” जैसे कमांड का सही प्रयोग
  • सही समय पर दिशा बदलने की कला
  • टीम प्लानिंग और सिंगल चेसिंग की रणनीतियाँ

2. खेल प्रशिक्षक द्वारा मार्गदर्शन

प्रत्येक नवोदय विद्यालय में एक प्रशिक्षित पीटी (Physical Training) टीचर होता है। कई विद्यालयों में विशेष रूप से खो-खो के लिए अनुभवी कोच भी नियुक्त किए जाते हैं। ये प्रशिक्षक छात्रों को शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ खो-खो की व्यावहारिक तकनीकों का प्रशिक्षण देते हैं।

प्रशिक्षकों की भूमिका:

  • छात्रों को व्यक्तिगत रूप से सुधारने पर ध्यान देना
  • अभ्यास के दौरान टीम गठन और रोल बदलवाना
  • खिलाड़ियों के मजबूत और कमजोर पक्षों की पहचान करना
  • मानसिक रूप से खिलाड़ियों को तैयार करना

3. खेल सामग्री और मैदान की व्यवस्था

खो-खो के लिए किसी बड़ी व्यवस्था की जरूरत नहीं होती, लेकिन मैदान का समतल और सही तरीके से चिन्हित होना आवश्यक होता है। नवोदय विद्यालयों में इसके लिए विशेष मैदान बनाए जाते हैं जहाँ सही मापदंडों के अनुसार खो-खो कोर्ट तैयार किया जाता है।

खास बातें:

  • मैदान पर 2 पंक्तियाँ और 8-8 खिलाड़ियों की बैठने की जगह होती है
  • खिलाड़ियों को खेल के लिए विशेष वर्दी प्रदान की जाती है
  • अभ्यास के समय प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स उपलब्ध होता है

खो-खो प्रतियोगिता का आयोजन: नवोदय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक

नवोदय विद्यालयों में खो-खो की ट्रेनिंग के बाद छात्रों को विभिन्न स्तरों की प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर दिया जाता है। ये प्रतियोगिताएँ चार स्तरों पर होती हैं:

1. इंटर हॉउस प्रतियोगिता (Intra-House Competition)

विद्यालय स्तर पर खो-खो का पहला आयोजन हॉउस आधारित होता है। नवोदय विद्यालय में चार हॉउस होते हैं – अरावली, नीलगिरी, शिवालिक और उज्ज्वल। प्रत्येक हॉउस की अपनी टीम होती है और आपस में मुकाबला कराया जाता है।

लक्ष्य:

  • प्रतिभा की पहचान करना
  • शुरुआती चयन के लिए खिलाड़ियों को अवसर देना
  • आपसी प्रतिस्पर्धा की भावना को जगाना

2. क्लस्टर स्तर की प्रतियोगिता (Cluster Level)

हर नवोदय विद्यालय किसी न किसी क्लस्टर का हिस्सा होता है जिसमें लगभग 8-10 नवोदय विद्यालय शामिल होते हैं। इंटर हॉउस से चुने गए खिलाड़ियों से एक टीम बनाई जाती है जो क्लस्टर प्रतियोगिता में भाग लेती है।

विशेषताएँ:

  • प्रतियोगिता 2-3 दिनों की होती है
  • अन्य विद्यालयों के छात्रों से प्रतिस्पर्धा होती है
  • आवास, भोजन और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था होती है

3. रीजनल स्तर (Regional Level)

हर नवोदय क्षेत्र जैसे पटना रीजन, भोपाल रीजन, लखनऊ रीजन आदि में क्लस्टर विजेता टीमें रीजनल टूर्नामेंट में भाग लेती हैं।

इस स्तर पर ध्यान दिया जाता है:

  • टीम का अनुशासन और कोऑर्डिनेशन
  • व्यक्तिगत प्रदर्शन की निरंतरता
  • खेल के नियमों का सटीक पालन

4. राष्ट्रीय स्तर (National Sports Meet)

रीजनल स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता के लिए चुना जाता है। यह आयोजन हर वर्ष NVS के द्वारा आयोजित किया जाता है, जहाँ देशभर के नवोदय विद्यालयों की टीमें हिस्सा लेती हैं।

राष्ट्रीय प्रतियोगिता की खास बातें:

  • उच्च स्तर की निर्णायक टीम
  • स्पोर्ट्स कोटे से करियर का रास्ता खुलता है
  • प्रमाणपत्र, ट्रॉफी और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

खो-खो की ट्रेनिंग में शारीरिक और मानसिक विकास

खो-खो केवल दौड़ने का खेल नहीं है, बल्कि इसमें रणनीति, निर्णय लेने की क्षमता और मानसिक संतुलन भी जरूरी होता है। नवोदय में खो-खो की ट्रेनिंग से छात्रों के भीतर निम्नलिखित गुणों का विकास होता है:

  • तेज गति और संतुलन
  • स्थिति के अनुसार रणनीति बनाना
  • टीम भावना और सहयोग
  • धैर्य और आत्म-नियंत्रण
  • प्रतिस्पर्धा में अनुशासन

खो-खो के प्रशिक्षण में मिलने वाली सुविधाएँ

नवोदय विद्यालय समिति छात्रों को खो-खो जैसे खेलों के लिए पूर्ण सुविधाएँ प्रदान करती है:

  • समयबद्ध अभ्यास कार्यक्रम
  • प्रशिक्षित कोच और PT शिक्षक
  • निःशुल्क खेल सामग्री और ड्रेस
  • प्रतियोगिता के समय यात्रा और आवास की सुविधा
  • पोषणयुक्त आहार और प्राथमिक उपचार

छात्रों का अनुभव और करियर के अवसर

कई नवोदय छात्र खो-खो प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर जिला और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। कुछ छात्रों को स्पोर्ट्स कोटे के माध्यम से कॉलेज में दाखिला और सरकारी नौकरियों में अवसर भी प्राप्त हुए हैं।

छात्र बताते हैं कि खो-खो की ट्रेनिंग ने उन्हें केवल एक अच्छा खिलाड़ी ही नहीं बनाया, बल्कि आत्मविश्वासी और जिम्मेदार इंसान भी बनाया।

अभिभावकों की भूमिका

अभिभावक यदि अपने बच्चे को खो-खो में बेहतर बनते देखना चाहते हैं, तो उन्हें चाहिए कि:

  • अपने बच्चे को मानसिक रूप से प्रेरित करें
  • अभ्यास के लिए जरूरी चीजों में सहयोग करें
  • विद्यालय द्वारा भेजी गई प्रतियोगिता सूचना पर ध्यान दें
  • बच्चों को हार-जीत से ऊपर सीखने की भावना सिखाएँ

निष्कर्ष

नवोदय विद्यालयों में खो-खो की ट्रेनिंग एक सुनियोजित और अनुशासित प्रक्रिया के तहत होती है। यहाँ हर छात्र को अपनी क्षमता दिखाने और बेहतर बनने का अवसर दिया जाता है। इस खेल के माध्यम से छात्र शारीरिक रूप से तो मजबूत होते ही हैं, साथ ही जीवन में जरूरी अनुशासन, रणनीति, आत्मविश्वास और टीम भावना जैसी अनमोल शिक्षाएँ भी प्राप्त करते हैं।

यदि आपका बच्चा नवोदय विद्यालय में पढ़ रहा है और उसे खो-खो में रुचि है, तो समझिए उसके पास एक सुनहरा अवसर है। नवोदय में मिलने वाली प्रशिक्षण, प्रतियोगिता और अनुभव की शक्ति से वह भविष्य में एक सफल खिलाड़ी और इंसान बन सकता है।

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