सैनिक स्कूल रिजल्ट पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया

सैनिक स्कूल रिजल्ट पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया

सैनिक स्कूल का रिजल्ट घोषित होते ही पूरे देश के हजारों परिवारों में उत्साह, गर्व और कुछ जगहों पर निराशा का माहौल देखने को मिला। हर अभिभावक अपने बच्चे के बेहतर भविष्य का सपना लेकर इस परीक्षा में उनका साथ देता है। जब परिणाम सामने आता है, तो यह केवल छात्रों की नहीं बल्कि अभिभावकों की मेहनत और भावना की भी परीक्षा होती है। इस लेख में हम गहराई से जानेंगे कि सैनिक स्कूल रिजल्ट आने के बाद अभिभावकों की क्या प्रतिक्रियाएं रही हैं।

सैनिक स्कूल रिजल्ट पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया
सैनिक स्कूल रिजल्ट पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया

1. खुशी से भर उठे चेहरे

जिन अभिभावकों के बच्चों का नाम मेरिट लिस्ट में आया या जिन्होंने मेडिकल टेस्ट के लिए क्वालिफाई किया, उनके लिए यह एक गौरवपूर्ण पल था।

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लखनऊ के रमेश यादव, जिनके बेटे ने सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए क्वालिफाई किया, ने कहा:
“हमने बेटे के साथ दिन-रात मेहनत की थी। जब रिजल्ट देखा और उसका नाम मेरिट लिस्ट में था, तो आंखों से आंसू निकल आए – खुशी के आंसू। अब हम वाकई में मानते हैं कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।”

बहुत से अभिभावकों ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं शेयर कीं, फोटो पोस्ट किए और अपनी खुशी का इज़हार किया।

2. निराशा भी आई सामने, लेकिन उम्मीद बाकी है

हर किसी के लिए यह सफर आसान नहीं होता। कई अभिभावकों ने रिजल्ट न आने पर अपनी नाराजगी और दुख भी जताया, लेकिन अधिकतर ने इसे एक सीख के रूप में लिया।

पटना की सुमन देवी, जिनकी बेटी इस बार कट-ऑफ से कुछ अंक पीछे रह गई, ने कहा:
“हमें थोड़ी निराशा हुई, लेकिन हम जानते हैं कि हमारी बेटी ने बहुत मेहनत की थी। अगली बार जरूर बेहतर करेंगे। हम अब भी गर्व महसूस करते हैं कि उसने इतनी बड़ी परीक्षा के लिए हिम्मत दिखाई।”

ऐसी प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि आज के अभिभावक बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं और उन्हें हर स्थिति में सपोर्ट करते हैं।

3. प्रशंसा NTA और सैनिक स्कूल सिस्टम के लिए भी

बहुत से माता-पिता ने इस बार की परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बताया। परीक्षा से लेकर परिणाम तक की प्रक्रिया को कई अभिभावकों ने सराहा।

जयपुर के एक अभिभावक, जिन्होंने सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा में अपने बेटे का नाम दर्ज कराया था, ने कहा:
“इस बार रिजल्ट समय पर आया, वेबसाइट ने ठीक से काम किया और सारी जानकारी स्पष्ट रूप से दी गई थी। हमें अच्छा लगा कि सब कुछ व्यवस्थित था।”

यह भी देखा गया कि कई स्कूलों और कोचिंग संस्थानों ने भी अभिभावकों को परिणाम देखने और आगे की प्रक्रिया समझाने में सहायता की।

4. मेडिकल टेस्ट को लेकर चिंताएं

जिन छात्रों का चयन हुआ है, अब वे मेडिकल टेस्ट की तैयारी में लगे हैं। इस बीच कई अभिभावकों ने मेडिकल प्रक्रिया को लेकर कुछ सवाल और चिंताएं जताईं।

एक अभिभावक का कहना था:
“हमारे बेटे का चयन हुआ है लेकिन मेडिकल टेस्ट को लेकर काफी डर है। हमने सुना है कि बहुत सख्ती से जांच होती है। अब हम उसकी सेहत और फिटनेस पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।”

सैनिक स्कूल का मेडिकल टेस्ट कठोर होता है क्योंकि यहां छात्रों को अनुशासित और शारीरिक रूप से सक्षम बनाना लक्ष्य होता है।

5. ग्रामीण इलाकों के अभिभावकों की उम्मीदें

देश के छोटे-छोटे गांवों से लेकर सुदूर इलाकों के अभिभावकों ने भी सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए अपने बच्चों को तैयार किया।

छत्तीसगढ़ के एक किसान पिता, जिनके बेटे ने रिजल्ट में स्थान पाया, ने कहा:
“हमारे गांव में कभी किसी बच्चे ने सैनिक स्कूल में दाखिला नहीं लिया था। अब जब हमारे बेटे का नाम आया, तो पूरा गांव खुश है। ये सिर्फ हमारे लिए नहीं, गांव के लिए भी गर्व की बात है।”

ऐसी प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि सैनिक स्कूल का सपना अब हर वर्ग और हर क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।

6. कोचिंग और गाइडेंस के लिए आभार

कई अभिभावकों ने कोचिंग संस्थानों और गाइडेंस देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का भी धन्यवाद किया।

एक माता-पिता ने लिखा:
“हमने अपने बच्चे को ‘navodayatrick.com’ जैसी वेबसाइट से तैयारी कराई। वहां से मिले मटेरियल, टेस्ट सीरीज और जानकारी से उसे बहुत मदद मिली। हम उनके आभारी हैं।”

इस तरह की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि अब डिजिटल संसाधन भी ग्रामीण और शहरी छात्रों के लिए समान रूप से उपयोगी हो रहे हैं।

7. बच्चों के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी

रिजल्ट चाहे जैसा भी आया हो, अधिकतर अभिभावकों ने इस पूरे सफर को बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला अनुभव माना।

दिल्ली के एक अभिभावक ने कहा:
“हमारे बेटे का चयन नहीं हुआ, लेकिन अब उसमें आत्मविश्वास आ गया है। उसने खुद कहा कि अगली बार और मेहनत करूंगा। यही बात हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।”

8. सरकारी सहयोग की भी सराहना

कई जगहों पर राज्य सरकारों या शिक्षा विभाग ने सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा के लिए मार्गदर्शन या सहायता दी थी। अभिभावकों ने इन पहलों की सराहना की।

एक माता-पिता ने कहा:
“हमारे जिले में प्रशासन ने स्पेशल कैंप लगाए थे। वहां बच्चों को निशुल्क मार्गदर्शन मिला। यह बहुत अच्छी पहल थी।”

निष्कर्ष: हर अभिभावक एक योद्धा की तरह साथ खड़ा रहा

सैनिक स्कूल रिजल्ट आने के बाद की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि आज के अभिभावक सिर्फ पढ़ाई के नहीं, बल्कि अपने बच्चों के पूरे संघर्ष में भागीदार हैं।

खुशी हो या निराशा – उन्होंने अपने बच्चों के हर कदम पर उनका साथ दिया। यही कारण है कि सैनिक स्कूल जैसे संस्थानों में दाखिले की राह केवल एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि पूरे परिवार के संघर्ष और समर्पण की कहानी होती है।

सभी अभिभावकों को सलाम, जिन्होंने अपने बच्चों के सपनों को उड़ान दी और कठिनाइयों में भी उन्हें थामे रखा।

सभी अपडेट, मेडिकल डेट्स और वेटिंग लिस्ट से जुड़ी जानकारी के लिए navodayatrick.com पर बने रहें। यहां आपको सबसे पहले और सबसे विश्वसनीय जानकारी मिलेगी।

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