सैनिक स्कूल रिजल्ट पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया
हर साल लाखों परिवार सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए अपने बच्चों को कड़ी तैयारी के साथ भेजते हैं। सैनिक स्कूल केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रसेवा की भावना का केंद्र माना जाता है। इसी कारण जब सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा AISSEE का रिजल्ट घोषित होता है, तो छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों की भी भावनाएं उससे जुड़ी होती हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि जब इस वर्ष का सैनिक स्कूल रिजल्ट घोषित हुआ, तो अभिभावकों की प्रतिक्रिया क्या रही, किस तरह की भावनाएं सामने आईं, और उन्होंने इस प्रक्रिया को कैसे महसूस किया। साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि सफल और असफल दोनों स्थितियों में माता-पिता की भूमिका कैसी होनी चाहिए।

परिणाम की घोषणा: एक भावनात्मक पल
AISSEE 2025 के परिणाम की घोषणा होते ही सैनिक स्कूल में प्रवेश की दौड़ में शामिल परिवारों में उत्साह की लहर दौड़ गई। कई महीनों की मेहनत, पढ़ाई और मानसिक तैयारी के बाद जब बच्चों का परिणाम स्क्रीन पर आया, तो माता-पिता की आंखों में भावनाओं का ज्वार देखने लायक था।
- जिन बच्चों का चयन हुआ, उनके घरों में खुशियों की बौछार देखने को मिली। कहीं मिठाइयाँ बांटी गईं तो कहीं मंदिरों में जाकर धन्यवाद अर्पित किया गया।
- वहीं, जिन अभिभावकों के बच्चों का नाम सूची में नहीं आ पाया, उनके चेहरे पर मायूसी जरूर थी, पर उन्होंने बच्चों को आगे और मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सफलता पर गर्व और आभार
कई अभिभावकों ने इस सफलता को देश सेवा की पहली सीढ़ी बताया। उनके अनुसार, सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने से बच्चों में अनुशासन, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व क्षमता का विकास होता है, जो जीवन भर उनके साथ रहता है।
“हमारे बेटे ने दिन-रात एक कर के तैयारी की थी। आज उसका चयन हुआ है, हमें गर्व है कि वह अब एक सैनिक स्कूल में पढ़ेगा। हम देश को एक जिम्मेदार नागरिक देने जा रहे हैं।” — एक चयनित छात्र के पिता ने कहा।
इस तरह की प्रतिक्रियाएं यह दिखाती हैं कि सिर्फ छात्र ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार का सपना होता है सैनिक स्कूल में प्रवेश पाना।
असफलता पर भी संतुलित सोच
जहां एक ओर सफलता ने खुशी दी, वहीं असफलता ने कुछ परिवारों को भावनात्मक रूप से झकझोरा भी। लेकिन ज्यादातर अभिभावकों ने सकारात्मक सोच अपनाई और बच्चों को यह समझाया कि जीवन में एक परीक्षा ही सबकुछ नहीं होती।
“हमारी बेटी ने बहुत मेहनत की थी, लेकिन इस बार वह चयनित नहीं हो पाई। हम उसे निराश नहीं होने देंगे। अगले साल और मेहनत करेंगे।” — एक छात्रा की माँ ने कहा।
यह संतुलित दृष्टिकोण बहुत आवश्यक होता है, खासकर तब जब बच्चे अपनी पहली बड़ी परीक्षा से गुजरते हैं। ऐसे समय में अभिभावकों का सहयोग और मानसिक समर्थन ही बच्चों को दोबारा खड़ा कर सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की भरमार
जैसे ही परिणाम आया, सोशल मीडिया पर अभिभावकों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। फेसबुक ग्रुप्स, व्हाट्सएप कम्युनिटी और यूट्यूब पर कई माता-पिता ने अपने अनुभव साझा किए।
- कई लोगों ने अपने बच्चों का अनुभव शेयर किया, जैसे परीक्षा का दिन कैसा रहा, तैयारी कैसे की, और परीक्षा केंद्र पर कौन-कौन सी दिक्कतें आईं।
- कुछ लोगों ने रिजल्ट देखने में आ रही तकनीकी दिक्कतों को लेकर चिंता जताई।
- वहीं कई माता-पिता ने परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की सराहना भी की।
मेडिकल प्रक्रिया को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया
चयन के बाद अगला चरण होता है मेडिकल टेस्ट। इसको लेकर भी अभिभावकों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कई लोगों को मेडिकल सेंटर दूर होने की चिंता रही, जबकि कुछ ने इस प्रक्रिया को देश सेवा के लिए जरूरी बताया।
“हमारा बेटा चयनित हुआ, लेकिन अब हमें मेडिकल के लिए 300 किलोमीटर दूर जाना है। फिर भी अगर देश के लिए कुछ करना है तो ये छोटा सा कदम है।” — एक अभिभावक ने कहा।
कुछ लोगों ने मेडिकल टेस्ट में पारदर्शिता बनाए रखने की अपील की, ताकि सभी छात्रों को बराबरी का अवसर मिल सके।
अभिभावकों की भूमिका: सिर्फ परीक्षा तक सीमित नहीं
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा में अभिभावकों की भूमिका सिर्फ बच्चे को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं होती। उनके व्यवहार, सोच, और सकारात्मक ऊर्जा से ही बच्चा आगे बढ़ता है।
- कई माता-पिता ने बच्चों के लिए टाइम टेबल तैयार किया।
- कुछ ने अपनी नौकरी से छुट्टियाँ लेकर बच्चों की पढ़ाई में योगदान दिया।
- और कुछ ने खुद पुराने प्रश्न पत्रों की छानबीन करके बच्चों को समझाया।
इस समर्पण को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि सैनिक स्कूल में प्रवेश पाने वाला बच्चा केवल अपनी मेहनत से नहीं, बल्कि अपने पूरे परिवार के सहयोग से वहाँ पहुंचता है।
भविष्य को लेकर उम्मीदें
जिन बच्चों का चयन हुआ है, उनके अभिभावकों को अब यह उम्मीद है कि उनका बच्चा एक मजबूत, जिम्मेदार और राष्ट्रभक्त नागरिक बनेगा। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे को सैनिक स्कूल में वह शिक्षा और संस्कार मिले जो जीवनभर उसके साथ रहे।
“सिर्फ किताबें ही नहीं, सैनिक स्कूल बच्चों को ज़िन्दगी जीने का तरीका सिखाता है,” — एक चयनित छात्र की माँ ने कहा।
निष्कर्ष
सैनिक स्कूल रिजल्ट पर अभिभावकों की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि इस परीक्षा का असर केवल छात्र पर नहीं, बल्कि पूरे परिवार पर होता है। सफलता पर गर्व और असफलता पर धैर्य — यही सैनिक स्कूल की असली सीख है, जो पहले दिन से शुरू हो जाती है।
जो माता-पिता इस बार सफल हुए हैं, उन्हें पूरे देश से बधाई। और जो अभी चयन से चूक गए, वे निराश न हों। यह केवल एक पड़ाव है, अंत नहीं। अगली बार और बेहतर करने का संकल्प लें।
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