नवोदय सेकंड लिस्ट में चयन प्रक्रिया में बदलाव?
प्रस्तावना
हर साल लाखों छात्र नवोदय विद्यालय (JNV) में प्रवेश पाने के लिए JNVST परीक्षा में भाग लेते हैं। पहली चयन सूची (First List) जारी होने के बाद जिन बच्चों का नाम नहीं आता, वे बेसब्री से दूसरी सूची (Second List) का इंतजार करते हैं। हाल के वर्षों में अभिभावकों और छात्रों के बीच यह सवाल तेजी से उठ रहा है —
“क्या नवोदय सेकंड लिस्ट की चयन प्रक्रिया में कोई बदलाव हुआ है?”
क्या अब पहले जैसा नियम नहीं है? क्या दूसरी सूची में चयन का तरीका अलग हो गया है?
इन्हीं सभी प्रश्नों और भ्रमों को दूर करने के लिए हम इस लेख में नवोदय सेकंड लिस्ट की चयन प्रक्रिया, संभावित बदलावों, और वास्तविक नियमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

दूसरी सूची (Second List) क्या होती है?
नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 और 9 में प्रवेश के लिए हर साल JNVST परीक्षा आयोजित की जाती है। सभी जिलों में चयन मेरिट और आरक्षण के आधार पर होता है। पहली सूची जारी होने के बाद यदि कुछ सीटें खाली रह जाती हैं, तो नवोदय विद्यालय समिति दूसरी चयन सूची जारी करती है।
दूसरी सूची उन्हीं छात्रों में से बनाई जाती है जो परीक्षा में पास होते हैं लेकिन सीटों की सीमा के कारण पहली सूची में नहीं आ पाते। इसे ही सामान्य भाषा में वेटिंग लिस्ट या सेकंड लिस्ट कहा जाता है।
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अब सवाल ये उठता है – क्या इस सेकंड लिस्ट की चयन प्रक्रिया में कुछ बदल गया है?
इस सवाल का जवाब समझने के लिए हमें सबसे पहले पुराने सिस्टम और अब के सिस्टम की तुलना करनी होगी।
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पहले की चयन प्रक्रिया (Before 2022)
पहले नवोदय की दूसरी सूची जारी करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती थी:
- पहली सूची में चयनित छात्र रिपोर्ट करते थे
- रिपोर्टिंग और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन के बाद यदि कोई सीट खाली रह जाती थी, तो
- उसी जिले के वेटिंग में रखे गए छात्रों में से चयन होता था
- यह चयन पूरी तरह मेरिट और आरक्षण नियमों पर आधारित होता था
- वेटिंग नंबर के आधार पर कॉल किया जाता था (जैसे Waiting No. 1, 2, 3…)
इस प्रक्रिया में अधिकांशतः छात्रों को वेटिंग नंबर बता दिए जाते थे और उन्हें समय-समय पर स्कूल से संपर्क रखने की सलाह दी जाती थी।
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अब की प्रक्रिया (2023 के बाद)
हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2023 के बाद, इस चयन प्रक्रिया में कुछ बदलाव देखे गए हैं:
बदलाव 1: वेटिंग नंबर सार्वजनिक नहीं किया जाता
- पहले जहां छात्रों को वेटिंग नंबर की जानकारी दी जाती थी, अब कई बार वेटिंग नंबर या सूची जारी नहीं की जाती।
- इसका कारण यह बताया जाता है कि चयन प्रक्रिया आंतरिक सिस्टम के आधार पर स्वतः होती है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
बदलाव 2: दस्तावेज़ वेरिफिकेशन के बाद रिजेक्ट छात्रों की जगह दूसरी सूची तैयार होती है
- कई बार पहली सूची के कुछ छात्रों के दस्तावेज़ जांच में खारिज हो जाते हैं।
- ऐसे में सिस्टम स्वतः वेटिंग छात्रों में से उपयुक्त छात्र को चयन के लिए चिन्हित करता है।
बदलाव 3: SMS/Call के जरिए सीधा सूचना मिलती है
- अब बहुत बार छात्रों को न तो कोई सूची जारी की जाती है और न ही वेबसाइट पर नाम आता है।
- बल्कि चयन होने पर सीधा SMS, कॉल या स्कूल से संपर्क करके सूचना दी जाती है।
बदलाव 4: ब्लॉक/क्लस्टर स्तर पर चयन में प्राथमिकता
- यदि किसी ब्लॉक या पंचायत से सीट खाली होती है, तो प्रयास होता है कि उसी क्षेत्र के छात्रों को प्राथमिकता दी जाए।
बदलाव 5: दूसरी सूची की कोई निश्चित तिथि नहीं होती
- पहले एक तय समय के भीतर दूसरी सूची आ जाती थी।
- अब यह सूची कई बार महीनों बाद भी आती है, और कभी-कभी दूसरी सूची जारी भी नहीं होती।
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क्यों हुआ यह बदलाव?
अब सवाल है कि आखिर नवोदय चयन प्रक्रिया में बदलाव क्यों किया गया? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- डिजिटल सिस्टम और डेटा गोपनीयता:
वेटिंग लिस्ट को सार्वजनिक करने पर कई बार डेटा गोपनीयता की शिकायतें आईं। इसके बाद से लिस्ट को इंटरनल बना दिया गया। - दस्तावेज़ जालसाजी रोकना:
कुछ मामलों में वेटिंग नंबर के आधार पर फर्जी दस्तावेज़ बनाए गए। इसलिए समिति ने यह प्रक्रिया गुप्त रखनी शुरू की। - क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना:
समिति अब प्रयास करती है कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व मिले, इस कारण वेटिंग चयन में ब्लॉक-स्तर पर भी सोचने लगी है। - पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चयन स्वतः प्रणाली द्वारा:
अब कई जिलों में चयन प्रक्रिया पूरी तरह कंप्यूटर आधारित है, जिसमें मानवीय हस्तक्षेप कम होता है। -
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क्या यह नया सिस्टम सही है?
इसके पक्ष और विपक्ष दोनों हैं:
पक्ष में:
- प्रक्रिया पारदर्शी और तकनीकी रूप से स्वचालित है
- फर्जीवाड़ा और दबाव से बचाव होता है
- क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित किया जाता है
विपक्ष में:
- छात्रों को अपने वेटिंग नंबर की जानकारी नहीं मिलती
- अनिश्चितता बनी रहती है
- अभिभावकों को बार-बार स्कूल जाकर जानकारी लेनी पड़ती है
- कई बार दूसरी सूची की सूचना समय से नहीं मिलती, जिससे छात्र अवसर खो देते हैं
छात्रों और अभिभावकों को क्या करना चाहिए?
यदि आप दूसरी सूची की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखें:
- नियमित रूप से अपने जिले के JNV की वेबसाइट या सूचना बोर्ड चेक करते रहें
- नजदीकी नवोदय विद्यालय में संपर्क बनाए रखें
- अपने सभी दस्तावेज़ तैयार रखें – ताकि कॉल मिलते ही रिपोर्ट कर सकें
- अपने फ़ोन नंबर, ईमेल आदि एक्टिव रखें – SMS या कॉल आ सकते हैं
- navodayatrick.com जैसी विश्वसनीय वेबसाइट से अपडेट लेते रहें
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: क्या अब दूसरी सूची नहीं आती?
उत्तर: नहीं, दूसरी सूची अब भी आती है, लेकिन वह कभी सार्वजनिक नहीं की जाती। चयनित छात्रों को स्कूल स्तर पर ही जानकारी दी जाती है।
प्रश्न 2: क्या मेरा वेटिंग नंबर मुझे मिलेगा?
उत्तर: सामान्यतः अब वेटिंग नंबर नहीं दिया जाता। चयन प्रणाली स्वतः कार्य करती है।
प्रश्न 3: मुझे कोई सूचना नहीं मिली, क्या मैं चयन से बाहर हूं?
उत्तर: जरूरी नहीं। कई बार सूचना देर से आती है, इसलिए स्कूल से संपर्क बनाए रखें।
प्रश्न 4: क्या मुझे दूसरी सूची के लिए आवेदन दोबारा करना पड़ेगा?
उत्तर: नहीं। आपने एक बार जो आवेदन किया था, उसी के आधार पर वेटिंग सूची तैयार होती है।
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निष्कर्ष
नवोदय सेकंड लिस्ट की चयन प्रक्रिया में बदलाव जरूर आया है, लेकिन चयन अब भी योग्यता, आरक्षण और जरूरत के अनुसार ही होता है। बस अब यह प्रक्रिया अधिक गोपनीय और तकनीकी हो गई है। छात्रों को अपने स्तर पर तैयार रहना है, और हर सूचना को गंभीरता से लेना है।
अंतिम सलाह
यदि आपने JNVST परीक्षा दी है और पहली सूची में नाम नहीं आया, तो:
- निराश न हों
- धैर्य रखें
- सभी दस्तावेज़ संभालकर रखें
- नियमित अपडेट लेते रहें
- और सबसे जरूरी – www.navodayatrick.com पर विज़िट करते रहें, जहां हर अपडेट विश्वसनीय रूप से दिया जाता है।
- प्रतीक्षा सूची से नवोदय में सीट मिलने की संभावनाएं
- Navodaya Vidyalaya Waiting List PDF Download कैसे करें
- किन बच्चों का नाम है?
- नवोदय विद्यालय वेटिंग लिस्ट में चयन के नियम
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