Navodaya Entrance में Top Rank लाने वाले छात्रों की Study Routine
Jawahar Navodaya Vidyalaya Entrance Exam भारत के सबसे लोकप्रिय और कठिन स्कूली प्रवेश परीक्षाओं में से एक है। हर साल लाखों बच्चे इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन सिर्फ कुछ हजार बच्चे ही चयनित हो पाते हैं। उनमें से भी कुछ छात्र ऐसे होते हैं जो टॉप रैंक लाते हैं और पूरे जिले या राज्य में नाम रोशन करते हैं। आखिर ये टॉपर बच्चे ऐसा क्या करते हैं जो बाकी नहीं कर पाते? उनके दिन भर की दिनचर्या कैसी होती है? वे कैसे पढ़ाई करते हैं, क्या खाते हैं, कितनी नींद लेते हैं और परीक्षा से पहले किस तरह तैयारी करते हैं — यही सब बातें आज हम इस आर्टिकल में विस्तार से समझेंगे।
अगर आप 2025 या 2026 में Navodaya Entrance Exam देने वाले हैं, तो यह लेख आपके लिए किसी गाइड से कम नहीं होगा। यहां दी गई बातें किसी किताब या इंटरनेट से कॉपी नहीं की गई हैं, बल्कि असली छात्रों की आदतों, उनके अनुभवों और सफल तरीकों पर आधारित हैं।

1. सुबह की शुरुआत सबसे अलग होती है
Navodaya के टॉपर छात्र दिन की शुरुआत बहुत अनुशासन के साथ करते हैं। वे सुबह जल्दी उठते हैं — आम तौर पर 5:00 से 5:30 बजे के बीच। सुबह का समय पढ़ाई के लिए सबसे अच्छा माना गया है क्योंकि उस वक्त दिमाग शांत, ताज़ा और ग्रहणशील होता है।
टॉपर छात्र सुबह का पहला एक घंटा कठिन विषयों को देते हैं, जैसे गणित (Mathematics) या रीजनिंग (Mental Ability)। उनका मानना है कि सुबह की पढ़ाई में दिमाग नई चीज़ों को लंबे समय तक याद रखता है।
कई छात्र अपने दिन की शुरुआत हल्की स्ट्रेचिंग, योग या ध्यान से करते हैं ताकि दिमाग और शरीर दोनों सक्रिय रहें। उसके बाद वे ठंडे पानी से नहाते हैं और बिना किसी डिस्टर्बेंस के पढ़ाई में बैठ जाते हैं।
2. समय प्रबंधन है सबसे बड़ा हथियार
जो छात्र Navodaya Entrance में टॉप करते हैं, उनके पास समय की एक सटीक योजना होती है। वे पूरे दिन को अलग-अलग हिस्सों में बांट देते हैं। एक संतुलित रूटीन कुछ इस प्रकार होता है:
सुबह 5:00 से 5:30 बजे: उठना, योग या ध्यान
5:30 से 7:00 बजे: गणित की प्रैक्टिस (20 से 25 प्रश्न)
7:00 से 8:00 बजे: नाश्ता और थोड़ी देर आराम
8:00 से 10:00 बजे: रीजनिंग और एनालिटिकल प्रश्न
10:00 से 12:00 बजे: भाषा अध्ययन (हिन्दी या अंग्रेज़ी)
12:00 से 1:00 बजे: लंच और विश्राम
1:00 से 3:00 बजे: पुराने टॉपिक की रिविजन
3:00 से 4:00 बजे: टेस्ट प्रैक्टिस या सैंपल पेपर
4:00 से 6:00 बजे: खेलने या बाहर घूमने का समय
6:00 से 8:00 बजे: नए टॉपिक की पढ़ाई
8:00 से 9:00 बजे: डिनर और हल्का रिविजन
9:00 बजे के बाद: नींद
यह सिर्फ एक उदाहरण है, हर छात्र अपनी सुविधा के अनुसार इसमें बदलाव कर सकता है। लेकिन टॉपर्स में एक चीज़ समान होती है — वे रोज़ाना एक तय समय पर पढ़ाई शुरू करते हैं और उसी समय पर खत्म करते हैं।
3. हर विषय को बराबर महत्व दिया जाता है
Navodaya Entrance में तीन मुख्य भाग होते हैं —
- मानसिक योग्यता (Mental Ability)
- अंकगणित (Arithmetic)
- भाषा (Language)
टॉपर छात्र किसी एक विषय पर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान नहीं देते, बल्कि सभी विषयों को संतुलित रूप से पढ़ते हैं। उनका मानना होता है कि अगर किसी एक विषय में गलती हुई तो बाकी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी।
वे गणित में हर दिन नए प्रश्न हल करते हैं, रीजनिंग में पैटर्न पहचानने की कोशिश करते हैं और भाषा में रीडिंग समझने की क्षमता पर काम करते हैं।
4. छोटे-छोटे ब्रेक लेकर पढ़ाई
कई बच्चे सोचते हैं कि लगातार 4–5 घंटे बैठकर पढ़ाई करना बेहतर है, लेकिन टॉपर्स ऐसा नहीं करते। वे “Pomodoro Technique” जैसी रणनीति अपनाते हैं जिसमें वे 45 मिनट पढ़ाई और 10 मिनट का ब्रेक लेते हैं। इससे दिमाग ताज़ा रहता है और थकान नहीं होती।
वे ब्रेक के समय थोड़ी वॉक करते हैं, पानी पीते हैं या कोई हल्का फल खाते हैं ताकि शरीर सक्रिय रहे।
5. नोट्स बनाने की आदत
टॉपर्स कभी भी बिना नोट्स बनाए नहीं पढ़ते। वे हर टॉपिक के छोटे-छोटे बिंदु लिखते हैं ताकि रिविजन के समय जल्दी याद आ जाए।
उदाहरण के लिए — अगर “संख्या पद्धति” पढ़ रहे हैं, तो वे उसमें महत्वपूर्ण सूत्र, उदाहरण और शॉर्टकट ट्रिक अलग से लिख लेते हैं।
नोट्स हमेशा साफ-सुथरे और रंगीन होते हैं ताकि देखकर पढ़ने में मज़ा आए। कई छात्र कहते हैं कि नोट्स बनाना ही असली तैयारी होती है, क्योंकि जब आप खुद लिखते हैं तो वही बातें सबसे ज्यादा याद रहती हैं।
6. पुराने पेपर और मॉक टेस्ट का अभ्यास
Navodaya के टॉपर छात्र हफ्ते में कम से कम एक बार मॉक टेस्ट ज़रूर देते हैं। वे Navodayatrick.com जैसी वेबसाइटों से पुराने सालों के प्रश्न हल करते हैं ताकि परीक्षा पैटर्न की पूरी समझ बने।
टेस्ट देने के बाद वे अपनी गलतियों की लिस्ट बनाते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि गलती कहां हुई। वे उन प्रश्नों को दोबारा हल करते हैं जब तक कि बिल्कुल सही न हो जाए।
उनका मानना है कि “Practice is the real teacher.” जितना ज़्यादा अभ्यास करेंगे, उतनी ज़्यादा सफलता मिलेगी।
7. ध्यान और आत्मविश्वास पर काम
Navodaya में टॉप करने वाले बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करते, वे अपने दिमाग को शांत और आत्मविश्वासी भी रखते हैं।
वे हर दिन कुछ मिनट ध्यान करते हैं या पॉजिटिव बातें सोचते हैं।
उनका विश्वास होता है कि वे टॉप कर सकते हैं।
जब बाकी बच्चे घबराते हैं, तब ये छात्र शांत रहते हैं। वे खुद को बार-बार याद दिलाते हैं —
“मैंने मेहनत की है, इसलिए मैं कर सकता हूँ।”
8. मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी
टॉपर छात्र जानते हैं कि मोबाइल और सोशल मीडिया सबसे बड़ा समय बर्बाद करने वाला ज़रिया है। इसलिए वे परीक्षा की तैयारी के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ स्टडी के लिए करते हैं, न कि मनोरंजन के लिए।
वे YouTube पर सिर्फ शैक्षणिक वीडियो देखते हैं और Facebook, Instagram जैसी साइटों से कुछ महीनों तक दूरी बना लेते हैं।
9. खान-पान और नींद पर ध्यान
कई बच्चे यह सोचते हैं कि ज्यादा पढ़ाई के लिए नींद कम करनी चाहिए, लेकिन ऐसा करना बहुत बड़ी गलती होती है। टॉपर्स जानते हैं कि अगर दिमाग थका हुआ होगा तो कुछ भी याद नहीं रहेगा। इसलिए वे रोज़ 6 से 7 घंटे की नींद ज़रूर लेते हैं।
वे हल्का, पौष्टिक खाना खाते हैं जैसे फल, दूध, दाल, सब्ज़ियां और ड्राई फ्रूट्स। परीक्षा से पहले वे जंक फूड से दूरी रखते हैं ताकि स्वास्थ्य खराब न हो।
10. हर रविवार को Revision Day बनाना
Navodaya के टॉपर छात्र रविवार को नए चैप्टर नहीं पढ़ते। वे उस दिन पुराने टॉपिक दोहराते हैं।
वे पूरा सप्ताह जो कुछ भी पढ़ते हैं, उसे एक जगह समेटते हैं, नोट्स चेक करते हैं और यह देखते हैं कि कौन से टॉपिक कमजोर हैं।
यह “रिविजन डे” उनकी तैयारी को और मजबूत बनाता है क्योंकि बार-बार दोहराने से दिमाग में चीज़ें पक्की हो जाती हैं।
11. लक्ष्य और प्रेरणा बनाए रखना
हर टॉपर का एक स्पष्ट लक्ष्य होता है। कुछ बच्चे कहते हैं, “मैं अपने माता-पिता के लिए टॉप करना चाहता हूँ।”
कुछ कहते हैं, “मैं Navodaya में पढ़कर अपने गांव का नाम रोशन करना चाहता हूँ।”
यही सोच उन्हें दिन-रात मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।
वे अपने कमरे की दीवार पर एक छोटा सा स्लोगन लिखते हैं —
“मैं टॉपर बनूंगा, मुझे कोई नहीं रोक सकता।”
ऐसे मोटिवेशनल वाक्य उन्हें हर सुबह ऊर्जा देते हैं।
12. परीक्षा के पहले 30 दिन की योजना
Navodaya Entrance से पहले के 30 दिन टॉपर छात्रों के लिए निर्णायक माने जाते हैं।
इस दौरान वे कुछ खास रणनीतियाँ अपनाते हैं —
- नए टॉपिक नहीं पढ़ते, सिर्फ पुराने दोहराते हैं।
- हर दिन एक मॉक टेस्ट देते हैं।
- गलत प्रश्नों का अलग नोटबुक बनाते हैं।
- टाइम मैनेजमेंट पर ध्यान देते हैं — हर सेक्शन को तय समय में हल करना सीखते हैं।
- परीक्षा के 2 दिन पहले वे पूरी तरह से आराम करते हैं ताकि दिमाग शांत रहे।
13. परिवार का सहयोग और प्रेरणा
कई बार बच्चों की मेहनत तभी पूरी होती है जब घरवाले उन्हें सही माहौल देते हैं।
टॉपर बच्चों के घर में पढ़ाई के समय शोर-शराबा नहीं होता, माता-पिता उन्हें समय-समय पर प्रेरित करते हैं।
वे बच्चों की प्रगति देखकर खुश होते हैं और उन पर भरोसा जताते हैं।
यह भरोसा बच्चों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाता है।
14. ग्रुप स्टडी का सही उपयोग
कुछ टॉपर बच्चे हफ्ते में एक या दो बार अपने दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी करते हैं।
वे एक-दूसरे से सवाल पूछते हैं, मुश्किल टॉपिक समझाते हैं और एक-दूसरे की गलतियां सुधारते हैं।
लेकिन वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि ग्रुप स्टडी पढ़ाई का मज़ाक न बन जाए।
15. मुश्किल विषयों से डरना नहीं
Navodaya के टॉपर छात्र कठिन टॉपिक से भागते नहीं।
अगर उन्हें “चित्रात्मक योग्यता” या “श्रृंखला” जैसे सवाल कठिन लगें, तो वे उन पर और ज्यादा समय लगाते हैं।
वे बार-बार उसी प्रश्न को हल करते हैं जब तक पूरी तरह समझ न आ जाए।
उनका मंत्र होता है —
“मुश्किल सवाल से भागो मत, उसे जीत लो।”
16. परीक्षा के दिन की तैयारी
परीक्षा के दिन टॉपर छात्र बहुत शांत रहते हैं।
वे जल्दी उठते हैं, हल्का नाश्ता करते हैं और परीक्षा केंद्र समय से पहले पहुंच जाते हैं।
वे अपने साथ केवल ज़रूरी चीज़ें रखते हैं — एडमिट कार्ड, पेन, और पानी की बोतल।
परीक्षा शुरू होने से पहले वे गहरी सांस लेते हैं और मन में दोहराते हैं —
“मैं तैयार हूँ, मैं टॉप करूंगा।”
वे हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ते हैं और पहले आसान प्रश्न हल करते हैं।
कठिन प्रश्नों को अंत में छोड़ते हैं ताकि समय की कमी न हो।
17. असफलता से सीखने की क्षमता
हर बार टॉप करने वाले छात्र भी कभी-कभी असफल होते हैं, लेकिन वे उससे डरते नहीं।
वे हर गलती से सीखते हैं और अगली बार उसे सुधारते हैं।
उनका विश्वास होता है कि “हार सिर्फ एक कोशिश का नाम है, जो फिर से जीतने की तैयारी देती है।”
18. वास्तविक उदाहरण
कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने गांव के छोटे स्कूलों से पढ़ाई की, लेकिन अनुशासन और मेहनत से Navodaya Entrance में टॉप किया।
जैसे —
रवि कुमार, जिसने हर दिन 6 घंटे पढ़ाई की, मोबाइल नहीं छुआ, और सिर्फ नोट्स से तैयारी की।
उसने कहा, “मैंने Navodayatrick.com से ऑनलाइन टेस्ट दिए और वहीं से मेरी स्पीड बढ़ी।”
ऐसे असली उदाहरण हमें यह सिखाते हैं कि संसाधनों से ज्यादा ज़रूरी होता है आत्मविश्वास और निरंतरता।
निष्कर्ष
Navodaya Entrance Exam में टॉप रैंक लाना किसी जादू से नहीं, बल्कि मेहनत, अनुशासन और सही योजना से संभव होता है।
टॉपर छात्र वही करते हैं जो बाकी बच्चे नहीं करना चाहते —
वे रोज़ समय पर उठते हैं, तय रूटीन फॉलो करते हैं, हर दिन अभ्यास करते हैं और खुद पर विश्वास रखते हैं।
अगर आप भी उसी दिनचर्या को अपनाते हैं, तो आपको कोई नहीं रोक सकता।
याद रखें —
“हर दिन की छोटी कोशिशें ही एक दिन बड़ी सफलता बन जाती हैं।”
आपका लक्ष्य सिर्फ Navodaya में प्रवेश पाना नहीं होना चाहिए, बल्कि वहां जाकर भी आगे बढ़ते रहना चाहिए।
आज अगर आप टॉपर बनने का सपना देखते हैं और उसी अनुसार मेहनत करते हैं, तो कल वही सपना हकीकत में बदलेगा।
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